Bewafa Yun Tera Muskurana Ghazal by Manjari song bewafa Yun Tera Muskurana Yaad

 Bewafa Yun Tera Muskurana Ghazal by manjari


सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं" — मोहब्बत, मासूमियत और बेवफ़ाई की दास्तान

कभी-कभी किसी के बारे में सुनी हुई छोटी-सी बातें दिल को इस कदर छू जाती हैं कि मन करता है—
चलकर देखा जाए, महसूस किया जाए, समझा जाए कि क्या वाक़ई वह इंसान उतना ही ख़ास है,
जितना दुनिया उसे बताती है।

यह रचना एक ऐसी ही यात्रा है—
जिज्ञासा से लेकर दीवानगी तक,
और दीवानगी से लेकर दर्द तक।


जिज्ञासा का सफ़र — “सुना है…”

कविता की शुरुआत में बार-बार एक ही शब्द उभरता है— “सुना है…”
यही शब्द लेखक के भीतर उठती चाहत, खिंचाव और आकर्षण का आधार है।

दुनिया कहती है कि वह शख़्स बेहद ख़ूबसूरत है,
उसकी आँखों में कोई जादू है,
उसकी बातों से फूल झड़ते हैं,
उसके आसपास प्रकृति भी ठहरकर झूमती है।

मानो वह सिर्फ़ इंसान नहीं—
एक अफ़साना हो।

इसलिए कवि सोचता है—
क्यों न जाकर खुद अपनी आँखों से देखा जाए?


अपने आपको बरबाद करके देखने की तमन्ना

कभी-कभी मोहब्बत जितनी खूबसूरत लगती है, उतनी ही ख़तरनाक भी होती है।
कवि को पता है कि वह शख़्स अपनी जवानी, अपनी मासूमियत और अपने रवैये से कई दिलों का हाल बिगाड़ देता है।

फिर भी कवि चाहता है कि वह खुद उस बर्बादी को महसूस करे।
ये वही दीवानगी है जहाँ इंसान सोचता है—
“डूबना ही है तो उसी समंदर में डूबा जाए, जिसके लिए दिल मचलता है।”


बातें जिनमें फूल झड़ते हैं — मासूम मोहब्बत का भ्रम

कहा जाता है कि कभी-कभी प्रेम का पहला नशा बातों से चढ़ता है।
यहाँ भी कवि को लगता है कि उस व्यक्ति की ज़ुबान में जादू है,
कि उसकी एक मुस्कान, एक शब्द दुनिया का रंग बदल सकता है।

इसलिए वह सोचता है—
“चलो, बात करके देख लेते हैं।”
लेकिन मोहब्बत की दुनिया इतनी सीधी नहीं होती।


प्रकृति भी उसके इर्द-गिर्द ठहरती है

दिन में तितलियों का पीछा करना,
रात में जुगनुओं का उसके पास आकर ठहर जाना—
इन रूपकों से कवि यह दिखाता है कि वह व्यक्ति सौम्यता और आकर्षण का प्रतीक है।

ऐसा लगता है कि प्रकृति भी उसकी मौजूदगी से मोहित हो जाती है।


बेवफ़ाई — मुस्कराहट जो तीर बन जाती है

कहानी का मोड़ यहाँ आता है।
जिस व्यक्तित्व की इतनी तारीफ़ें सुनी थीं,
वही व्यक्ति जब बेवफ़ा निकले,
तो उसकी मुस्कराहट भी जख़्म दे जाती है।

मुस्कान जो कभी जादू थी,
अब धोखे का निशान बन जाती है।

कवि स्वीकार करता है कि उसके दिल पर जो घाव लगे हैं,
वे इतने गहरे हैं कि दिखाए नहीं जा सकते।


मेहंदी वाले पाँव — उम्मीद का टूटना

कवि जब बुलाने के लिए ख़त लिखता है,
तो उसका संदेश किसी और के ज़रिए इस जवाब के साथ आता है—
कि जिसके लिए वह दिल जलाता रहा,
उसके पाँव में मेहंदी लगी है।

यह ख़बर सिर्फ़ एक जवाब नहीं,
पूरी ज़िंदगी का फैसला है—
यह बताती है कि मोहब्बत का रास्ता अब आगे नहीं जाता।


सवाल जो दिए नहीं जा सकते — सच्चाई का दर्द

जब कवि पूछता है कि वह कल कहाँ थी,
तो उसके जवाब से साफ़ है कि सच कहने की हिम्मत नहीं।
कुछ बातें ऐसी होती हैं
जो दिल तोड़ने की ताक़त रखती हैं,
और इसीलिए वे बातों में नहीं कही जातीं।

उसकी ख़ामोशी ही उसके अपराध को बयान करती है।


कमज़ोर कलाई — प्यार का बोझ कौन उठाए?

कवि कहता है कि तलवारें या तीर उठाने की जरूरत नहीं,
क्योंकि उसकी कलाई इतनी कमज़ोर है
कि वह मोहब्बत का बोझ भी नहीं उठा सकती।

यही वह स्वीकारोक्ति है जहाँ लेखन दर्द से दर्शन में बदल जाता है।


तमन्नाओं की सज़ा — सूली चढ़ाने का फैसला

कवि मानता है कि जब भी उसने कुछ चाहा,
उत्तर व्यंग्य में मिला।
और वह व्यंग्य भी ऐसा—
जिसमें दया की कोई जगह नहीं।

उसकी तमन्नाओं को सूली पर चढ़ा दिया गया,
और वह जानता है कि अब रहम की कोई उम्मीद भी नहीं।


अंत — एक मुस्कान जिसने ज़िंदगी बदल दी

कवि की दुनिया में एक मुस्कराहट ने
पहले जादू किया,
फिर दर्द दिया,
और अंत में एक ऐसी कहानी छोड़ गई
जिसे भूला नहीं जा सकता।

यह पूरी रचना मोहब्बत की शुरुआत,
उसका आकर्षण,
उसका ज़हर,
और उसका ज़ख़्म—
सब कुछ एक खूबसूरत डोर में बांधती है।






Bewafa Yun Tera Muskurana  Lyrics


सुना है लोग उसे आँख
भर के देखते हैं
सो उसके शहर में
कुछ दिन ठहर
के देखते हैं

सुना है रुख़्त है उसको
ख़राब हालों से
सो अपने आप को बर्बाद
करके देखते हैं

सुना है बोले तो बातों
से फूल झड़ते हैं
ये बात है तो चलो
बात करके देखते हैं

सुना है दिन को उसे
तितलियाँ सताती हैं
सुना है रात को जुगनू
ठहर के देखते हैं

बेवफ़ा यूँ तेरा मुस्कराना
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है
बेवफ़ा यूँ तेरा मुस्कराना
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है
मैं जो ज़ख़्म खाया है दिल पर
वो दिखाने के क़ाबिल नहीं है
बेवफ़ा यूँ तेरा मुस्कराना
भूल जाने के क़ाबिल नहीं है

मैंने ख़त लिखके उनको बुलाया
आके काशिद ने दुखड़ा सुनाया
मैंने ख़त लिखके उनको बुलाया
आके काशिद ने दुखड़ा सुनाया
उनके पाँव में मेहंदी लगी है
उनके पाँव में मेहंदी लगी है
आने जाने के क़ाबिल नहीं है
बेवफ़ा यूँ तेरा मुस्कराना

मैंने पूछा कि
कल सब कहाँ थे
पहले शर्माए
फिर छलके बोले
मैंने पूछा कि
कल सब कहाँ थे
पहले शर्माए
फिर छलके बोले
आप वो बात क्यों
पूछते हैं
आप वो बात क्यों
पूछते हैं जो
बताने के क़ाबिल नहीं है
बेवफ़ा यूँ तेरा मुस्कराना

तीरों तलवार तुम मत उठाओ
क्यों ये करते हो बेकार ज़हमत
तीरों तलवार तुम मत उठाओ
क्यों ये करते हो बेकार ज़हमत
जानते हैं तुम्हारी कलाई
जानते हैं तुम्हारी कलाई
बोझ उठाने के क़ाबिल नहीं है
बेवफ़ा यूँ तेरा मुस्कराना

मैंने जब भी की अर्ज़-ए-तमन्ना
ज़ुल्फ़ की तरह बलखाके बोले
मैंने जब भी की अर्ज़-ए-तमन्ना
ज़ुल्फ़ की तरह बलखाके बोले
ऐसे आशिक़ को सूली चढ़ा दो
ऐसे आशिक़ को सूली चढ़ा दो
रहम खाने के क़ाबिल नहीं है
बेवफ़ा यूँ तेरा मुस्कराना
मैं जो ज़ख़्म खाया है दिल पर
वो दिखाने के क़ाबिल नहीं है
बेवफ़ा यूँ तेरा मुस्कराना

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