Khatir Se Ya Lihaz Se - Ghazal

 Khatir Se Ya Lihaz Se - cover | Exclusive Ghazal Manjari | Manjari Ghazal




Khatir Se Ya Lihaz Se | Exclusive Ghazal Manjari | Manjari Ghazal original credit songs Artist: Ghulam Ali Album: Ghulam Ali In Concert Vol. 3 Released: 1980 ghulam ali khatir se ya lihaz se lyrics میں اس کی خاطر راضی ہوگیا۔ #غزل

दिल के जज़्बात और बेइमान एहसास – एक ग़ज़ल ब्लॉग

हिंदी साहित्य में ग़ज़ल और शेरों का अपना एक अलग ही आकर्षण है। यह केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि दिल की गहराईयों में छुपे जज़्बातों का आईना है। आज हम एक ऐसे ही संग्रह पर चर्चा करेंगे, जिसमें प्यार, एहसान, वफ़ा, और दिल टूटने की पीड़ा की झलक मिलती है।

शेरों का सार:

  1. “ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया…”
    इस शेर में लेखक अपनी नरमी और समझदारी को दिखाता है। वह दूसरों के लिए झुक जाता है, लेकिन इस झुकाव के साथ-साथ उसका विश्वास और ईमान धीरे-धीरे खोता जा रहा है।

  2. “दिल ले के मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं…”
    यहाँ दिल देने और लेने की बात है। लेखक बताता है कि उसके दिल को मुफ्त में लिया गया, लेकिन इसके बदले में उसे उल्टी शिकायतें ही मिलीं।

  3. “क्या आए राहत आई जो कुंज-ए-मज़ार में…”
    यह शेर विरह और तन्हाई का प्रतीक है। दर्द के बावजूद भी, कोई राहत नहीं मिली।

  4. “देखा है बुत-कदे में जो ऐ शैख़ कुछ न पूछ…”
    यहाँ विश्वास और ईमान की परीक्षा की बात की गई है। दिखावे के बुतख़ानों में वास्तविकता का पता नहीं चलता।

  5. “इफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़ में गो ज़िल्लतें हुईं…”
    प्रेम का इज़हार करने में शर्मिंदगी और पीड़ा का सामना करना पड़ा, लेकिन लेखक ने अपने जज़्बात जाहिर किए।

  6. “बज़्म-ए-अदू में सूरत-ए-परवाना दिल मिरा…”
    यह शेर प्रेम की वेदना और ईर्ष्या की भावनाओं को दर्शाता है।

  7. “होश ओ हवास ओ ताब ओ तवाँ 'दाग़' जा चुके…”
    अंत में, लेखक यह महसूस करता है कि अब सब कुछ खत्म हो चुका है, और केवल यादें और सामान रह गए हैं।

भाव और संदेश:

इस ग़ज़ल में मुख्य रूप से वफ़ा, प्यार, विश्वासघात और दिल की पीड़ा के भाव हैं। यह हमें याद दिलाता है कि प्यार केवल सुखद अनुभव नहीं है; कभी-कभी यह संवेदनाओं की परीक्षा भी लेता है। लेखक की आत्मीयता, ईमानदारी, और संवेदनशीलता हर शेर में झलकती है।

ब्लॉग के लिए निष्कर्ष:

अगर आप दिल की गहराईयों को समझना चाहते हैं और भावनाओं को शब्दों में महसूस करना चाहते हैं, तो ऐसे शेर आपके अनुभव को और गहरा बना सकते हैं। हर शेर के पीछे छुपा दर्द, एहसान, और खोया हुआ विश्वास हमें यह सिखाता है कि जीवन में संवेदनशील होना कोई कमजोरी नहीं, बल्कि एक कला है।


ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया झूटी क़सम से आप का ईमान तो गया दिल ले के मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं उल्टी शिकायतें हुईं एहसान तो गया डरता हूँ देख कर दिल-ए-बे-आरज़ू को मैं सुनसान घर ये क्यूँ न हो मेहमान तो गया क्या आए राहत आई जो कुंज-ए-मज़ार में वो वलवला वो शौक़ वो अरमान तो गया देखा है बुत-कदे में जो ऐ शैख़ कुछ न पूछ ईमान की तो ये है कि ईमान तो गया इफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़ में गो ज़िल्लतें हुईं लेकिन उसे जता तो दिया जान तो गया गो नामा-बर से ख़ुश न हुआ पर हज़ार शुक्र मुझ को वो मेरे नाम से पहचान तो गया बज़्म-ए-अदू में सूरत-ए-परवाना दिल मिरा गो रश्क से जला तिरे क़ुर्बान तो गया होश ओ हवास ओ ताब ओ तवाँ 'दाग़' जा चुके अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया

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