Teri Berukhi Teri Meharbani
Teri Berukhi Aur Teri Meharbani Ghazal Song
तेरी बेरुख़ी और तेरी मेहरबानी — यही मौत भी, यही ज़िंदगानी भी
कभी‑कभी ज़िंदगी हमें ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है जहाँ मोहब्बत में मिली बेरुख़ी और मेहरबानी के छोटे‑छोटे लम्हे दोनों एक‑सी अहमियत रखते हैं। किसी का रूठ जाना भी आपको बदल देता है और किसी का एक पल का साथ भी जीने का हौसला बन जाता है। शायद इसी लिए कहा गया:
"तेरी बेरुख़ी और तेरी मेहरबानी,
यही मौत है और यही ज़िंदगानी…"
प्यार की यही दो छोर—दर्द और राहत—मिलकर एक ऐसी कहानी बुनते हैं, जिसमें हर धड़कन एक नया अर्थ ले लेती है।
वही फ़साना, वही कहानी — जवानी का रंग
मोहब्बत की दास्तानें बदलती नहीं। किरदार बदल जाते हैं, हालात बदल जाते हैं, मगर कहानी का मूल वही रहता है: एक दिल जो टूटता है, एक दिल जो सँभलता है। शायद इसीलिए कहा गया:
"वही इक फ़साना, वही इक कहानी,
जवानी… जवानी… जवानी…"
जवानी का दौर ही ऐसा होता है—जज़्बात गहरे होते हैं, और हर एहसास दिल पर नक़्श बन जाता है।
लबों पर मुस्कराहट, आँखों में पानी
हम अक्सर दुनिया को वही दिखाते हैं जो दुनिया देखना चाहती है। होंठों पर मुस्कान और दिल में तूफ़ान… यह तो हर आशिक़ का सच है।
"लबों पर तबस्सुम, तो आँखों में पानी,
यही दिल‑जलों की निशानी…"
इस दोहरी दुनिया में जीना आसान नहीं, मगर मोहब्बत के रास्ते पर चलने वालों को यह बोझ भी प्यारा लगने लगता है।
आँसुओं की हक़ीक़त
आँसू सिर्फ़ पानी नहीं होते। ये उन लम्हों का बोझ हैं जिन्हें शब्दों में बयां करना मुश्किल होता है। जब कोई समझने वाला मिल जाए तो वही आँसू इज़हार बन जाते हैं, और जब कोई समझने वाला न हो तो ये सिर्फ़ नमी बनकर रह जाते हैं।
"बताऊँ है क्या आँसुओं की हक़ीक़त,
जो समझो तो सब कुछ, न समझो तो पानी…"
आँसू दिल की भाषा हैं—जो हर किसी को समझ नहीं आती।
अंत में…
मोहब्बत हमें तोड़ती भी है और जोड़ती भी। यह हमारी कहानियों को रंग भी देती है और धुंधला भी करती है। लेकिन चाहे दर्द हो या खुशी—हर एहसास, हर लहजा, हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बन जाता है।
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